INDIA

रज़ा

Image
  तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो तेरी हर रज़ा में भी मेरी मजा हो  तुझसे अलग जी न चलता जहां का  हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो।। तुझसे है सूरज ये चांदनी तुझसे तुझसे जहां है ये रागिनी तुझसे तुझसे महकती फिज़ा इस जहां की सारे जहां की तुम्ही एक वजह हो हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो  तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो।। मेरे मौला मैं तो हूं आशिक तेरा ही गले से लगा ले या दूरी बना ले  मैं होके फ़ना हो जाऊं जहां की रहम के बिना तेरे जीना कज़ा हो हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो।।                        🎉DC✨️✨️✨️                                    🍓🍍🍍👍👍

प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध प्रकृति के लिए आवश्यक

 मानवीय मेधा से निर्मित वस्तुओं के अतिरिक्त जो कुछ इस संसार में  मौजूद है जिसमें पर्वत-पठार, नदी-सागर, जल-जंगल, जीव-जंतु, ग्रह-नक्षत्र इत्यादि का समावेश है 'प्रकृति' कहलाता है, यह स्वत: निर्मित होता है अतः इनकी समस्त परिस्थितियां प्रकृति के अनुकूल होती हैं क्योंकि मानव प्राकृतिक तो है परंतु अपनी मेधा के प्रयोग से जो कुछ वह आविष्कार करता है वह प्रकृति से परे मानव कृत कहलाता है ,जो मानव के स्वार्थ पूर्ति हेतु होता है ऐसे में कभी कभी प्रकृति और मानव कृत व्यवस्था के मध्य असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है ,यह असंतुलन कभी-कभी बड़े संकट को जन्म देती है। प्लास्टिक ऐसा ही एक मानवीय खोज है जो प्रारंभ में किसी वरदान से कम ना था परंतु इसके बढ़ते प्रयोग एवं अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन के कारण यह पर्यावरण के लिए गहरा संकट बन चुका है।
plastics
प्लास्टिक एक प्रकार का बहुलक है जो समान या असमान एकलकों के लंबी श्रृंखलाओं से मिलकर बनता है। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड 2015-16 के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 15लाख टन से अधिक प्लास्टिक प्रतिवर्ष उत्पादित होता है। प्लास्टिक आज विकास का रीढ़ बन चुका है, इसका विस्तार धरती से आकाश तक तथा समुद्र की गहराइयों से अंतरिक्ष के ऊंचाई तक फैल चुका है ।प्लास्टिक के व्यापक प्रयोग को देखते हुए वैज्ञानिक आज की युग को 'प्लास्टिक युग' की भी संज्ञा देते हैं। प्लास्टिक ने सभ्यता के विकास को तीव्र किया है पर कौन जानता था की एक दिन प्लास्टिक और प्रकृति का अंतर्विरोध इतना तीव्र हो जाएगा कि संपूर्ण धरती ही विनाश के कगार पर पहुंच जाएगा।
plastic pollution
 विभिन्न वैश्विक एजेंसियों के माध्यम से दी जा रही तथ्य प्लास्टिक जन्य समस्याओं के विकरालता को बेहतर प्रकट करती है यथा प्रति मिनट लगभग 10लाख पानी की बोतलें बिकती हैं ,प्रतिदिन 25940 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होती है जिसमें से 40% कचरा एकत्रित नहीं हो पाती जो पर्यावरण पर कई  दुष्प्रभाव उत्पन्न करती है तथा हर वर्ष लगभग 80लाख टन प्लास्टिक महासागरों में डंप की जाती है। इस प्रकार पृथ्वी में लगभग 12 अरब टन कचरा जमा हो चुका है। मानव का यह  गैर-जिम्मेदाराना रवैया आज महासागरीय एवं पार्थिव जैव विविधता के लिए खतरा बन चुका है। प्रतिवर्ष अनेक व्हेल, कछुआ, गोवंश एवं अन्य जीवों के शरीर में प्लास्टिक का प्रवेश बढ़ा है जिससे असामयिक जैविक ह्रास की स्थिति उत्पन्न हुई है।उचित अपशिष्ट प्रबंधन के अभाव में जगह-जगह प्लास्टिक कूड़ों की ढेर लगी हुई है जिसे जलाकर नष्ट करने का प्रयास किया जाता है यह गंभीर वायु एवं मृदा प्रदूषण को जन्म देता है।हाल के रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ है कि मानव खाद्य में प्लास्टिक का प्रवेश हो चुका है और लगभग 50प्लास्टिक कण हमारे शरीर में प्रतिवर्ष जमा हो रहा है जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना को बढ़ा देती है।प्लास्टिक का पूर्ण अपघटन नही होता यह किसी न किसी रूप यथा ठोस,द्रव या गैंस के रूप में प्रदूषक का कार्य करता है।इस प्रकार आज व्यापक उपयोगिता युक्त पदार्थ वरदान से श्राप बन चुका है।
प्लास्टिक की उपयोगिता का स्तर अपने चरम पर पहुंच चुका है ऐसे में प्लास्टिक अपशिष्टों का प्रबंधन अब इस समस्या का केवल शुरुआती हल होगा किंतु स्थाई निदान हेतु प्लास्टिक के संपूर्ण प्रयोग पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगाना ही एकमात्र प्रभावी उपाय रह गया हैप्लास
अपशिष्ट प्लास्टिक के गंभीरता को ध्यान में रखते हुए वैश्विक स्तर पर चिंता जताई जा रही है इसी क्रम में भारत में 25 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश में पॉलीथिन प्रतिबंधित कर दिया गया है साथ ही हाल ही में 2022 तक भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त करने की घोषणा भी की जा चुकी है। प्लास्टिक की इस समस्या से निजात पाने में जनभागीदारी की महती भूमिका है। जनता के सहयोग के बिना स्वस्थ्य पर्यावरण की भागीरथी प्रयास सफल नहीं हो सकता ऐसे में जन जागरूकता की आवश्यकता है दूरदर्शन में आने वाली शक्तिमान धारावाहिक में 'प्लास्टिका' के किरदार द्वारा बच्चों को प्लास्टिक के  दुष्परिणामों से अवगत कराने का सफल प्रयास किया गया था। ऐसे ही अन्य दृश्य-श्रव्य माध्यम से गहन एवं व्यापक जागरूकता फैलाया जाना चाहिए साथ ही प्लास्टिक के प्रतिस्थापी के तौर पर जैव निम्नीकृत बहुलकों का उत्पादन हेतु वातावरण तैयार करना होगा।
plastic pollution
प्लास्टिक को बिटुमिन में बदलकर सड़क निर्माण में कोलतार के स्थान पर प्रयुक्त किया जाना चाहिए साथ ही व्यक्तियों को भी अपनी दैनिक आदतों में सुधार करना होगा। अनावश्यक प्लास्टिक के प्रयोगों से बचना चाहिए ,प्लास्टिक के निपटारे हेतु पुनः चक्रण, पुनः प्रयोग व पुनः प्राप्ति के सिद्धांत को अपनाया जाना चाहिए इन तमाम उपायों के माध्यम से जो अपशिष्ट उत्पादित हो चुके हैं उनका प्रबंधन तो किया जा सकता है किंतु आगामी संकट टालने के लिए यथाशीघ्र प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना ही इसका स्थाई प्रयास होगा इस पर देरी करना प्रकृति को नष्ट करने के समान है। कबीर की उक्ति है-
  बिन रखवाले बाहीरा, चिड़िये खाया खेत
 आधा परधा उबरै, चेती सके तो चेत।।
वर्तमान प्लास्टिक समस्याओं से समय रहते उचित निर्णय लेने के लिए प्रेरित करती है इस प्रकार एक स्वस्थ पर्यावरण का निर्माण हम सब का कर्तव्य एवं आवश्यकता है।
plastic pollution

Comments

Popular posts from this blog

अंधेरा घना है!

मेरी नैना

दुखालय