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Showing posts from November, 2019

INDIA

रज़ा

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  तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो तेरी हर रज़ा में भी मेरी मजा हो  तुझसे अलग जी न चलता जहां का  हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो।। तुझसे है सूरज ये चांदनी तुझसे तुझसे जहां है ये रागिनी तुझसे तुझसे महकती फिज़ा इस जहां की सारे जहां की तुम्ही एक वजह हो हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो  तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो।। मेरे मौला मैं तो हूं आशिक तेरा ही गले से लगा ले या दूरी बना ले  मैं होके फ़ना हो जाऊं जहां की रहम के बिना तेरे जीना कज़ा हो हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो।।                        🎉DC✨️✨️✨️                                    🍓🍍🍍👍👍

छत्तीसगढ़ के पर्यटन केंद्रों की राष्ट्रीय पहचान कैसे बने? ,chhattisgarh ka paryatan sthal

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मध्य भारत में स्थित प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित  छत्तीसगढ़  प्रांत अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक एवं आर्थिक वैभव से समृद्ध राष्ट्र में अलग पहचान रखती है। पंडित सुंदरलाल शर्मा के शब्दों में "जो भूभाग उत्तर में  विध्यांचल   व नर्मदा से दक्षिण की ओर इंद्रावती व ब्रह्माणी तक है। जिसके पश्चिम में वेन गंगा बहती है ,और जहां पर गढ़ नामाबाची ग्राम संज्ञा है जहां पर सिंगबाजा का प्रचार है,जहां स्त्रियों का पहनावा प्रायः एक वस्त्र है तथा जहां धान की खेती होती है, वही भूमि छत्तीसगढ़ है।" छत्तीसगढ़ के संदर्भ में शब्दों का यह मणिकांचन प्रयोग इस धरा के सौंदर्य बोध का परिचायक है। छत्तीसगढ़ में पर्यटन की विविध संभावनाएं है ,यहां ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक पर्यटन स्थलों का भरमार है। इस भूमि पर राम, गांधी और बुद्ध के पदचिह्न हैं इस पूण्य भूमि की सुंदरता देखते ही बनती है। chhattisgarh ka paryatan sthal   रायगढ़ में बोतल्दा, सिंहनपुर की गुफा पाषाण कालीन स्थल हैं। यहां अनेक शैल चित्र बिखरे हुए हैं। इसके अतिरिक्त  रामायण, महाभारत ,जैन-बौद्ध, मौर्य एव...

गधे को गंगा जल

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गधे को गंगाजल वर्षों मालिक को सेवा देने के बाद आखिर मेरा भी सेवानिवृत्ति का समय आ गया,पिछले कुछ दिनों से शारीरिक क्षमता क्षिर्ण हुई है हालात की गंभीरता को समझते हुए मालिक ने सेवा मुक्ति का आदेश जारी कर दिया है।अब तो पैर भी नही चलते हैं बची जिंदगी बैठे ही गुजारनी है सो घर के बाहर पीपल के ओट में बेर के छांव तले मेरे अंतिम आवास हेतु भूमि आबंटित हुआ है,शायद ये वहीं पांच गज जमीन है जिसका सबको इंतजार होता है।वृद्ध हो चला हूँ,चमड़ी कोमल हो गयी है आसानी से बेर के कांटे चुभ जाते हैं,तन में लहू बचा नही सो रिसता नही ,हाँ थोड़ा तकलीफ जरूर होता है पर अपने मालिक के लिए क्या इतना सह नही सकता! आखिर बिना काम लिए दो वक्त का आधा पेट सही खाना तो दे ही देता है,नक्कारा खच्चर इससे बेहतर और क्या उम्मीद पाले वैसे भी हम तो गुलाम हैं।जब लोकतंत्र में लोग भूखे सोते हैं उससे तो बेहतर हैं।जब घनघोर कंटीली छाया में करवट बदलता हूँ तो जरूर बदन पर कांटे चुभते हैं पर वो खुरों पर कील ठोकने से बेहतर है।अब तो बस चंद वक्त ही रह गये हैं न जाने कब बुलावा आ जाये मगर जो वक्त है वो तमाम उम्र की हिसाब करने बैठ गयी है और मे...

सड़कों पर बेमौत मरती गायें समाधान क्या?

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गौ ,गंगा, गायत्री ,गीता, सभी पूज्य हैं परम पुनीता। भारतवर्ष में गाय न केवल पशु है अपितु यह हमारी समृद्धि एवं समन्वित संस्कृति का अद्वितीय धरोहर है भारत में गाय को गौ माता का दर्जा प्राप्त है, साथ ही गौ सेवा, गौ पूजन एवं गौ आराधना से संबंधित अनेक तीज-त्यौहार भारतीय जनमानस एवं लोक व्यवहार में व्याप्त है। 20 वीं पशु जनगणना के आधार पर भारत में पशुधन की संख्या 300 मिलियन से भी  अधिक है जो विश्व में सर्वाधिक है साथ ही भारत दुग्ध उत्पादन में भी प्रथम स्थान पर है इस प्रकार भारत में गाय एवं गोवंश का महत्वपूर्ण आर्थिक स्थान भी है।  भारत में गोधन कृषि, परिवहन, दुग्ध  एवं मांस उत्पादन में उपयोगी रहा है गाय एक ऐसा पशु है जिसकी गोबर, मूत्र ,चर्म, अस्थि, मांस सभी उपयोगी है गाय की यह बहुआयामी उपयोगिता प्राचीन काल से चली आ रही है। ॠगवैदिक काल में गायों की महत्ता चरम पर थी तब गायों के लिए युद्ध हुआ करता था जिसे गावेष्टी कहा जाता  था गायों को मुद्रा की तरह उपयोग किया जाता था गोवंश के इस विपुल उपयोगिता के कारण ही इन्हें पशुधन  या गोधन कहा जाता है परंतु आज के औद्योगिक समा...