रज़ा
तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो तेरी हर रज़ा में भी मेरी मजा हो तुझसे अलग जी न चलता जहां का हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो।। तुझसे है सूरज ये चांदनी तुझसे तुझसे जहां है ये रागिनी तुझसे तुझसे महकती फिज़ा इस जहां की सारे जहां की तुम्ही एक वजह हो हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो।। मेरे मौला मैं तो हूं आशिक तेरा ही गले से लगा ले या दूरी बना ले मैं होके फ़ना हो जाऊं जहां की रहम के बिना तेरे जीना कज़ा हो हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो।। 🎉DC✨️✨️✨️ 🍓🍍🍍👍👍
दोस्तों बहुत जल्द आने वाला है एक रोमांचक चर्चा "जिस्म से रूह की गुप्तगू"
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