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Showing posts from May, 2020

INDIA

रज़ा

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  तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो तेरी हर रज़ा में भी मेरी मजा हो  तुझसे अलग जी न चलता जहां का  हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो।। तुझसे है सूरज ये चांदनी तुझसे तुझसे जहां है ये रागिनी तुझसे तुझसे महकती फिज़ा इस जहां की सारे जहां की तुम्ही एक वजह हो हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो  तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो।। मेरे मौला मैं तो हूं आशिक तेरा ही गले से लगा ले या दूरी बना ले  मैं होके फ़ना हो जाऊं जहां की रहम के बिना तेरे जीना कज़ा हो हँस के भी सह लेंगे कोई सजा हो तू रख ले मुझे जैसे तेरी रज़ा हो।।                        🎉DC✨️✨️✨️                                    🍓🍍🍍👍👍

अंधेरा घना है!

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वर्ष 2020 नव वर्ष की खुमारी अभी उतरी न थी कि कोराना का विष फैल गया।पूंजीवादी समाज के विकासोन्मुखता कब होड़ में बदलकर पृथ्वी के गर्भ खोदने लग गयी पता ही नही चला और तो और कमजोर विकाशशील देशों ने भी अपनी कमजोरी से शुतुरमुर्ग की तरह आखें बंद कर इसी विकास के अंधे दौड़ में शामिल हो गये तथा संसाधनों की बेतहाशा दोहन प्रारंभ कर रही-सही कसर पुरा कर विनाश में अपनी पूर्ण सामर्थ्य से भागीदारी निभाई।जल,जंगल,वनस्पति,खनिजऔर शुद्ध हवा-पानी के बदले भला कैसा विकास,यह विकास तो घाटे का सौदा अधिक लगता है।पूंजीवाद से बनाई गयी सारी व्यवस्था चौपट हो गयी,कहने को इससे देश की विकासशक्ती जुड़ी है पर इससे बड़ा खोखला भ्रम और कुछ नही हो सकता जो महीने-दो-महीने के तालाबंदी से घुटने पर आ जाये क्या ऐसे स्त्रोतों से देश को सुरक्षित और विकसित बनाया जा सकता है।यह तो पुरी तरह पूंजीपतियों द्वारा शोषण को जारी रखने का चाल है जिसमें आज पुरा विश्व फंसा है।श्रमिकों का आज स्थिति देख लीजिए सरकारों के बड़बोलापन कैसे धराशायी हो गये हैं।बात तो हुई थी हवाई चप्पलों को हवाई यात्रा कराने की और यह नाटकीय क्रम चला भी था पर आज श्रमिकों को...

नक्सलवाद

पंडित सुंदरलाल शर्मा ने कहा था "जो भूमि उत्तर में विंध्यश्रेणी तथा नर्मदा से, दक्षिण में इंद्रावती-ब्रम्हाणी तक विस्तृत है तथा जिसके पश्चिम में वेनगंगा बहती है ,जहां गढ़ नामावाची ग्राम संज्ञा है  जहां सिंगबाजा का प्रचार है, जहां स्त्रियों का परिधान प्रायः एक वस्त्र है तथा जहां धान की खेती होती है वहीं छत्तीसगढ़ है।" छत्तीसगढ़ की ऐसी मनोरम चित्रण इस प्रांत के सामाजिक, आर्थिक एवं धनधान्य से समृद्ध राज्य को आलोकित करती है परंतु यह राज्य के गठन के पूर्व ही कई समस्याओं से ग्रस्त हो चुकी थी इनमें से एक है 'नक्सलवाद'। 1960 के दशक में बंगाल से प्रारंभ होकर 11 राज्यों तक फैल गई । ' नक्सलवाद ' साम्यवादी क्रांतिकारियों के उस आंदोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय साम्यवादी आंदोलन के उदय से प्रारंभ हुआ। यह बंगाल में दार्जिलिंग के समीप एक छोटे से गांव नक्सलबाड़ी से प्रारंभ हुआ अतः इसे नक्सलवाद कहा जाता है । इस आंदोलन का नेतृत्व साम्यवादी नेता कानू सान्याल एवं चारू मजूमदार ने किया 1967 में उच्च वर्ग की बढ़ती शोषण व अत्याचार से कृषक एवं मजदूर वर्ग की रक्षा तथा भूमि अधिग्र...